जहां साल 2014 से ही तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध है बिहार देश के उन गिने-चुने राज्यों में से एक हैलेकिन आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अब भी 25.9 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन कर रहे हैं और यह आंकड़ा कोई और नहीं, बल्कि राज्य के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद दे रहे हैं। वे इसे उपलब्धि मान रहे।बिहार में तंबाकू उत्पादों की खरीद और ब्रिकी पर साल 2014 में ही रोक लगाई गई थी। 2008 नवंबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तंबाकू रोकथाम दिवस के मौके पर पूर्ण प्रतिबंध का ऐलान किया था। तब से अबतक बिहार में तंबाकू उत्पादों की ब्रिकी पर रोक जारी है। इसके बावजूद चोरी-छुपे इसकी ब्रिकी हो रही है।
25.9 फीसदी लोग कर रहे तंबाकू का सेवन-
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर लोगों से तंबाकू छोड़ने की अपील करते हुए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास से पिछले कुछ वर्षों में तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है। तंबाकू सेवन करने वाले लोगों का प्रतिशत 53.5 से घटकर 25.9 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने तंबाकू सेवन से कोरोना संक्रमण के बढ़ने का भी खतरा बताया।
सीड्स कर चुका है खैनी पर रोक लगाने की मांग-
तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में राज्य सरकार को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था सोशियो इकोनोमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी (सीड्स) लंबे समय से बिहार में खैनी पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है। सीड्स ने राज्य सरकार से खैनी को खाद्य सामग्री की श्रेणी में लाने और फिर इसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के तहत प्रतिबंधित करने की मांग की थी। सीड्स के मुताबिक इसी एक्ट के तहत राज्य में गुटखा एवं पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है। बिहार में 23.5 फीसदी चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें लगभग 20.5 फीसद युवा खैनी खाते हैं।