आजम खां के परिवार की मुश्किलें और बढ़ीं, विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम से होगी 66 लाख रुपए की रिकवरी

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  लेखक: कुलदीप सिंह

रामपुर ।  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सपा नेता आजम खां (Azam Khan) के परिवार की मुसीबतें और बढ़ गई हैं। आजम खां के विधायक बेटे से अब 66 लाख रुपए की वसूली की जाएगी। उन्होंने यह धनराशि 14 मार्च 2017 से 16 दिसंबर 2019 तक विधायक रहते वेतन और भत्तों के रूप में ली थी। अब उनके परिवार को इसका हर्जाना देना होगा ।

विधायकी के वेतन-भत्ते के रूप में लिए थे 66 लाख रुपए
भाजपा नेता आकाश सक्सेना (Akash saxsena) ने सरकार से अब्दुल्ला के द्वारा ली गई धनराशि को वापस लेने की मांग की थी। तब विधानसभा के लेखाधिकारी ने नोटिस जारी करके धनराशि जमा करने के लिए कहा था। लेकिन, अब्दुल्ला आजम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) चले गए थे। अपनी विधायकी को रद करने वाले हाईकोर्ट (High Court) के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। अब भाजपा नेता ने फिर से धनराशि वापस लेने की मांग की है ।

अब्दुल्ला आजम की क्यों रद हुई थी विधायकी
आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम  (Abdullah Azam) 2017 में स्वार सीट (Swar Assembly) से विधायक का चुनाव लड़े थे। उन पर कम उम्र में चुनाव लडऩे का आरोप लगाते हुए पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दिसंबर 2019 में हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी रद्द कर दी। इस फैसले के विरोध में वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। तब से ही मामला लंबित था ।

सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला की याचिका की खारिज
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इस फैसले से आजम खां की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, क्योंकि अब्दुल्ला के जन्म प्रमाण पत्र को लेकर पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसका मुकदमा स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट (MP MLA Court) में चल रहा है। इस मामले में आजम खां, अब्दुल्ला आजम, उनकी पत्नी पूर्व सांसद डाक्टर तजीन फात्मा और अब्दुल्ला भी नामजद हैं। इसमें अधिकतर गवाही  (Evedence) भी हो चुकी हैं और शीघ्र ही फैसला आने की उम्मीद है ।

जानें 2017 में क्या हुआ था
साल 2017 में अब्दुल्ला के मुकाबले नवेद मियां (Naved Miyan) चुनाव लड़े थे। उन्होंने नामांकन के दौरान भी अब्दुल्ला की उम्र कम बताते हुए आपत्ति लगाई थी, लेकिन तब निर्वाचन अधिकारी ने आपत्ति खारिज कर दी थी और अब्दुल्ला का नामांकन सही ठहराया था। उस  वक्त नवेद मियां के पास ऐसा कोई सुबूत (Proof) नहीं था, जिससे उनकी उम्र कम दर्शाई गई हो ।

अब्दुल्ला के हैं दो-दो जन्म प्रमाण पत्र
बाद में उन्होंने अब्दुल्ला के हाईस्कूल का प्रमाण पत्र (Certificate of Highschool) की प्रति प्राप्त कर ली, जिसमें उनकी जन्म तिथि एक जनवरी 1993 में है। इस हिसाब से 2017 में नामांकन के दौरान उनकी उम्र 25 साल नही्ं थी। 11 माह कम थी। बाद में अब्दुल्ला की ओर से दूसरा जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) सामने लाया गया, जिसमें उनकी जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सही नहीं माना और विधायकी रद्द कर दी थी ।

भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने दर्ज कराया था मुकदमा
दो जन्म प्रमाण पत्र को लेकर भाजपा नेता आकाश सक्सेना (Akash Saxsena) ने मुकदमा भी दर्ज करा दिया था। उनके अधिव1ता संदीप सक्सेना का कहना है कि अब्दु्ल्ला आजम के जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी मानते हुए हाईकोर्ट ने विधायकी रद्द की थी और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उस फैसले को सही माना है। इसका असर जन्म प्रमाण पत्र के मुकदमे पर भी पड़ेगा। हम कोर्ट में इन तथ्यों को भी पेश करेंगे ।

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