लोकजन शक्ति पार्टी में टूट हो गयी है। रामविलास के बेटे चिराग पासवान को उनकी पार्टी के सांसदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को नया नेता चुन लिया। लोजपा के 6 सांसदों में 5 सांसदों ने चिराग से मुंह मोड़ लिया। अब चिराग अकेले पड़ गए हैं। यह सारा खेल एक दिन में नहीं हुआ। जबकि इसी पटकथा काफी समय से तैयार की जा रही थी। बिहार विधानसभा में जदयू और बीजेपी को नुकसान पहुंचाना अब चिराग को भारी पड़ गया। लोजपा में टूट का पूरा खेला बीजेपी और जदयू ने खेला है। रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान को सारा पावर मिलने से रामविलास के छोटे भाई पशुपति को नागवार गुजर रहा था। इसको लेकर पार्टी में पहले भी मनमुटाव हुआ, लेकिन उस समय चुनाव है कहकर विवाद को टाल दिया गया। लेकिन उसकी आग जल ही रही थी। विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी और जदयू ने उस आग को हवा दी और चिराग पासवान को जबर्दस्त झटका दे दिया।
जानकारी है कि लोजपा के सभी सांसद पिछले कुछ दिनों से बिहार में थे। दो दिन से पशुपति पारस भी पटना पहुंचे हुए थे। चिराग पासवान के तख्ता पलट का खेल शनिवार से शुरू हुआ। बीजेपी की ओर से हरी झंडी मिलते ही पशुपति समेत पार्टी के सभी सांसद दिल्ली पहुंच गए। इसके बाद रविवार की शाम सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी के घर पर सभी सांसद जुट गए। इस दौरान हुई बैठक में एक मत से सांसद पशुपति को पार्टी का नया नेता चुन लिया गया। सूत्रों के अनुसार, उस बैठक में जदयू नेता ललन सिंह भी उपस्थित थे। उनकी मौजूदगी में सारा खेल हुआ। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क कर समय मांगा गया, जिस पर तुरंत मिलने की सहमति पर जताई गई। सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष ओम बिड़ला के घर पर बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव पहले से बैठे थे। समझने की बात यह है कि रविवार को छुट्टी का दिन होने के बाद भी आनन-फानन में लोजपा सांसदों से वे मिले और चिराग पासवान के तख्ता पलट का सारा खेला हो गया। ओम बिड़ला से मिलकर LJP सांसदों ने पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता मनोनयन करने के बारे में बताया गया।