सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा आज “बिहार में डीआरई मॉडल्स के सफल प्रयोग” पर एक परिचर्चा आयोजित की गयी, जिसका मूल उद्देश्य कृषि, स्वास्थ्य, ग्रामीण एवं शहरी विकास सहित अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहे डीआरई मॉडल्स को समूचे राज्य में फ़ैलाने और इनके व्यापक इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है।
इस वेबिनार में जिन बेहतरीन विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीआरई) परियोजनाओं को प्रस्तुत गया, उनमेँ चखाजी (समस्तीपुर) का कृषि सिंचाई में कारगर सौर मॉडल, चनपटिया (पश्चिम चंपारण) में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दे रहा हाइब्रिड मिनी ग्रिड, बड़गांव (गया) में कृषि उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए लगा सोलर ड्रायर और कोल्ड स्टोरेज, फतुहा (पटना) का जरबेरा फूल का कोल्ड स्टोरेज और कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में बिजली एवं स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए स्थापित सोलर पीवी प्लांट प्रमुख थे।
इन सफल परियोजनाओं से जुड़े प्रमुख लोगों और संगठनों जैसे डॉ मीना सामंत (कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल), शुभेंदु गोस्वामी (हस्क पावर सिस्टम), सुनील कुमार (आगा खान रूरल सपोर्ट), मयंक जैन (समअर्थ) और नागेंद्र कुमार (उद्यमी) ने अपनी कहानियों को साझा किया और एक मत से राज्य में उन मॉडलों को बड़े पैमाने पर अपनाने का आह्वान किया, जो घरेलू-स्ट्रीट लाइटिंग, सिंचाई सुविधा और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन मजबूत करने के साथ-साथ स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को भी मजबूत कर रहे हैं।
राज्य सरकार शुरू करे एक ‘डीआरई मिशन’- अश्विनी अशोक
वेबिनार के व्यापक सन्दर्भ एवं उद्देश्य के बारे में श्री अश्विनी अशोक, हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड ने बताया कि, “डीआरई समाधानों से जुड़े अपार संभावनाओं को हासिल करने के लिए राज्य सरकार को एक ‘डीआरई मिशन’ शुरू करना चाहिए, जिसमें सभी सरकारी विभागों एवं नोडल एजेंसी के बीच कन्वर्जेन्स एप्रोच और साझा विजन हो। साथ ही निजी निवेश और तकनीकी नवोन्मेष को आकर्षित करने और सबों को एक समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक समुचित परिवेश तैयार किये जाने की जरूरत है। इससे राज्य को स्वच्छ ऊर्जा समाधान के मामले में अग्रणी बनाने के लिए विनिर्माण इकाइयों की स्थापना को भी बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार को इन सफलता की कहानियों को एक सुनहरे अवसर के रूप में लेना चाहिए, जो बिहार के लिए स्थायी विकास और खुशहाल भविष्य का आधारस्तम्भ बन सकता है।”
एग्रो वैल्यू चेन के सोलराइजेशन से कृषि अर्थव्यवस्था होगी सुदृढ़- मयंक जैन
राज्य के कृषि तंत्र की समस्याओं के समाधान में डीआरई प्रयोगों का समर्थन करते हुए समअर्थ के श्री मयंक जैन ने कहा, “गया और जहानाबाद के गांवों में सौर आधारित कोल्ड स्टोरेज और सोलर ड्रायर मॉडल का हमारा अनुभव उत्साहवर्धक है, जैसे इनसे विश्वसनीय ऊर्जा, सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि और फसलों की बर्बादी कम होने से ग्रामीण उद्यमिता की गतिविधियां बढ़ी हैं और लोगों की आय में तेजी आयी है। डीआरई समाधानों से कृषि उत्पादक समूह, आजीविका समूह, बागवानी के क्षेत्रों में शामिल उद्यमियों को काफी फायदा हो रहा है। मेरा स्पष्ट मानना है कि एग्रो वैल्यू चेन के सोलराइजेशन से कृषि अर्थव्यवस्था सुदृढ़ और समृद्ध होगी।”
सौर प्लांट से हम ऊर्जा की लागत कर सकते हैं कम- डॉ मीना सामंत
स्वास्थ्य केंद्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे सौर समाधानों पर बात रखते हुए डॉ मीना सामंत,(कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल) ने कहा, “हमारे यहां छह साल पहले लगे सोलर पीवी प्लांट का अनुभव शानदार रहा है। यह अस्पताल में पेयजल सुविधा और स्ट्रीट लाइट जैसी सामान्य आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ ऑपरेशन थिएटर में निरंतर बिजली आपूर्ति और बेबी वार्मर और वैक्सीन रेफ्रिजरेटर को चालू बनाये रखने में बेहद कारगर सिद्ध हुआ है। पहले ग्रिड बिजली का उपयोग करना एक महंगा विकल्प था और बिजली कटने से अक्सर आपातकालीन सेवाएं बाधित होती थीं, लेकिन अब सौर प्लांट से हम ऊर्जा के लागत को कम करने और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने में सक्षम हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि स्वास्थ्य केंद्रों का सौरकरण ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति बेहतर हो सकती है।”
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सीड का मानना है कि राज्य सरकार को अपनी नीति-निर्माण एवं क्रियान्वयन में डीआरई को प्राथमिकता देना चाहिए, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सके और सततशील विकास को सुनिश्चित किया जा सके। इस वेबिनार में डीआरई डेवलपर्स और इनोवेटर्स के अलावा राज्य के प्रमुख किसान उत्पादक संगठनों, महिला उद्यम केंद्रों, स्वयं सहायता समूह, सिविल सोसाइटी संगठन के प्रतिनिधि, किसान और अन्य प्रमुख लोगों ने भागीदारी की।