Desk: पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्राइवेट स्कूल संचालकों को झटका दिया है। कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ एक माह की ट्यूशन फीस लेने के सरकारी आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। बता दें कि बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग और पटना के डीएम ने लॉकडाउन में बंद प्राइवेट स्कूलों को आदेश जारी किया हुआ है कि वे अभिभावकों से 3 महीने की नहीं, बल्कि सिर्फ एक महीने का ट्यूशन फीस लें।
आपदा प्रबंधन विभाग के इस आदेश के विरोध में सेंट पॉल स्कूल (उत्तरी मंदिरी) की तरफ से जनहित याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान इस विकट परिस्थिति में किसी को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती। इस समय किसको पैसा देने का आदेश दिया जाए, जबकि हर किसी का काम-धंधा लगभग ठप है। वकील की प्रैक्टिस बंद है। ऐसे में आप ही बताइए कि किसे फीस देने के लिए कहा जाए।
सुनवाई के दौरान स्कूल के वकील गौतम केजरीवाल ने कहा डीएम ने आदेश जारी कर एक साथ तीन महीने की फीस नहीं लेने तथा बस फीस व अन्य शुल्क नहीं लेने का निर्देश दिया है। स्कूल प्रबंधन को शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा चाहिए। मगर स्कूल के पास इतना पैसा नहीं है कि वह दे सकें। स्कूल की हर दलील को कोर्ट ने नामंजूर कर अर्जी खारिज कर दी। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस बारे में आपदा प्रबंधन या शिक्षा विभाग के पास आवेदन दें। खंडपीठ ने इन दोनों विभागों को यह निर्देश दिया कि स्कूलों के आवेदन को 4 हफ्ते में विधिवत तरीके से निबटाएं।
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अशुतोष रंजन पांडेय ने कोर्ट को बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग और डीएम ने कोरोना संक्रमण से बचाव के दौरान लॉकडाउन को देखते हुए यह निर्देश जारी किया है। स्कूल नामी तथा काफी पुराना है। स्कूल को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि इसकी माली हालत खराब है और स्कूल को फीस वसूलने की छूट दी जाए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कई स्कूल मनमानी कर रहे हैं। डीएम के आदेश के बावजूद फीस के साथ बस चार्ज और अन्य शुल्क वसूलने के लिए अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं।

गौरतलब है कि बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग और पटना के डीएम ने लॉकडाउन में बंद प्राइवेट स्कूलों को आदेश जारी किया हुआ है कि वे अभिभावकों से 3 महीने की नहीं, बल्कि सिर्फ एक महीने का ट्यूशन फीस लें। इसके अलावा अन्य प्रकार का चार्ज नहीं लिया जाए। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए ईमेल आदि की सुविधाएं भले दी जाएं लेकिन इसके एवज में कोई पैसा नहीं लेना है। आदेश के मुताबिक स्कूल के कर्मचारी एवं अन्य स्टाफ के वेतन से कटौती भी नहीं करनी है।