शहीद के पिता ने कहा, जवान बेटे की अर्थी के कंधा देने से बड़ा दुनियां में कोई दुख नहीं

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  लेखक: कुलदीप सिंह

नागौर ।  शायद ही कोई पिता चाहता होगा कि उसे अपने जवान बेटे की अर्थी को कंधा देना पडे....,शायद इससे ज्यादा दुखद कुछ नहीं होगा. कुछ इसी तरह के शब्दों से अपने बेटे को नम आंखों से पिता ने रोते हुए विदाई दी, ऐसा  राजस्थान के नागौर जिले में एक जवान शहीद के पिता के साथ हुआ हैं 48 साल के पिता ने अपने 22 साल के जवान बेटे की लाश को न केवल कंधा दिया बल्कि लाश को गले लगाकर घंटों रोता रहा. पिता कहता रहा एक बाद मुझे पिता बोल दे बेटा.लेकिन बेटा अब दुनिया छोड़कर जा चुका था।

तू तो कहता था बहादुर फौजी बनूंगा बोले पिता
पिता रोते हुए बोले कि तू तो कहता था कि बहादुर फौजी बनूंगा और आपसे भी ज्यादा देश की रक्षा करूंगा.क्या पता था कि रक्षा करते हुए वह इतनी दूर चला जाएगा कि अब कभी लौटकर नहीं आएगा. अब तेरा वो बहादुर फौजी का वादा कौन निभाएगा. 22 साल के इस सपूत को अंतिम अलविदा करने के लिए गांव के गांव आ गए और घंटों तक नारे लगते रहे।


पैरा कमांडो बनने के दौरान हुआ हादसा
दरअसल नागौर जिले के मेडता रोड पर पोलास गांव में रहने वाले दिलिप ऐचरा की 22 साल की उम्र में शहादत हो गई.वे पैरा कमांडो बनने की ट्रेनिंग ले रहे थे.चार सितंबर से यह ट्रेनिंग शुरु की थी और 10 सितंबर को ट्रेनिंग में रनिंग के दौरान अचानक सीने में दर्द उठा और नीचे गिर गए.उसके बाद फिर नहीं उठे.

अस्पताल में भर्ती हुआ दिलीप फिर रिकवर नहीं कर सका
दिल्ली में अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां कई दिनों तक भर्ती रहने के दौरान दो दिन पहले उन्होनें अलविदा कह दिया. जब जवान की पार्थिव देह गांव लाई गई और उसके बाद दिलीप जिंदाबाद, दिलिप ऐचरा अमर रहे के नारों के बीच गांव के हजारों लोगों के सामने सेना के सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।

दिलीप के पिता भी सेना में जुड़े
दिलीप के पिता पांचाराम बारह साल से अस्थायी तौर पर अनुबंध के तहत सेना से जुडे हुए हैं. पिता ने बेटे के शव को थामते हुए कहा कि एक बार पापा बोल दे बेटा.कैसे छोड दूं तुझे..कैसे जिएंगे तेरे बिना.... पिता ने कहा कि हमेशा कहता था कि आपसे भी ज्यादा नाम करूंगा..क्या पता था कि बड़ा नाम करने के  चलते हमेशा के लिए दूर चला जाएगा. दिलीप के गांव में चूल्हे नहीं जले, दिलीप ने दो साल पहले ही सेना ज्वाइन किया थी और कछ दिन पहले ही पैरा कमांडो का अपना सपना जीना शुरु किया था।

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