Mainpuri Election 2022 : Dimple Yadav की राह नहीं है सिंपल, परिवार से मिल रही चुनौती, सपा की साख दांव पर

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  लेखक: कुलदीप सिंह

दिल्‍ली। यूपी में उपचुनाव सियासी दलों के लिए साख का सवाल बन गए हैं। खासतौर पर Mulayam singh yadav के निधन के बाद Mainpuiri लोकसभा सीट सपा के लिए चुनौती बन रही है। हालांकि, सपा ने घोषणा कर दी है कि मैनपुरी से Dimple yadav उम्‍मीदवार होगी। वहीं, कहा जा रहा है कि यादव परिवार को घर से ही सियासी अखाडे में चुनौती मिल सकती है।

5 दिसंबर को उप चुनाव होना है
गौरतलब है कि UP   के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे Mulayam Singh Yadav के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर 5 दिसंबर को उप चुनाव होना है। सपा ने Dimple Yadav को वहां से चुनावी मैदान में उतारा है। अखिलेश यादव के लिए यह चुनाव जीतना विरासत बचाने का सवाल है। इस चुनावी मैदान में सबसे ज्‍यादा चुनौती डिम्पल यादव को घर-परिवार से ही मिलने की आशंका है। एक तरफ उनकी देवरानी Aprna Yadav बीजेपी की नेता हैं तो वहीं, ससुर शिवपाल यादव भी नाराज दिख रहे हैं। अपर्णा ने पिछले दिनों यूपी बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात की थी। इससे कयास तेज हो गए थे।

लड़ाई बहू बनाम बहू न बन जाए?
हालांकि, BJP ने अभी तक यहां से उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कहीं यह लड़ाई बहू बनाम बहू न बन जाए? वैसे संभावना इस बात की ज्यादा है कि बीजेपी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य को फिर से उतार सकती है।

यादवों का करीब 35 फीसदी वोट
उधर, पिछले विधान सभा चुनाव में सपा के साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ने वाले ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा ने डिम्पल यादव के खिलाफ रामकांत कश्यप को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। मैनपुरी यादव और शाक्य बहुल सीट है। यहां यादवों का करीब 35 फीसदी वोट है।

1996 से सपा का कब्‍जा
गौरतलब है कि मैनपुरी  सीट पर 1996 से लगातार समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। मुलायम सिंह यादव खुद यहां से 1996, 2004, 2009, 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि, उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज करने के बाद दो बार 2004 और  2014 में सीट छोड़ी थी। तब हुए उपचुनाव में भी उनके ही परिवार के लोगों ने जीत दर्ज की थी।

शाक्‍य वोटरों की संख्‍या ज्‍यादा  
मैनपुरी में यादवों के बाद सबसे ज्यादा शाक्य वोटर हैं। इनके अलावा ठाकुरों और ब्राह्मणों की अच्छी तादाद है। दलित, लोधी वोटर की भी अच्छी आबादी है। बीजेपी शाक्य समेत अन्य गैर यादव ओबीसी वोटरों को रिझाने की कोशिश में है। उधर यादव और मुस्लिम वोट के अलावा सपा शाक्य वोटरों में सेंधमारी की कोशिश में है।

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