राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की संथाल जनजाति की अजीब परंपराएं : अगर प्रेमी के घर में डटी रहे लड़की तो उसके साथ कराते हैं शादी 

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  लेखक: हेडलाइंस डेस्क

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की संथाल जनजाति की अजीब परंपराएं : अगर प्रेमी के घर में डटी रहे लड़की तो उसके साथ कराते हैं शादी

दिल्ली। देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण ले ली है। वह देश की 15वीं और आदिवासी समुदाय से आने वाली पहली महामहिम हैं। वह उड़ीसा के संथाल जनजाति से आती हैं। आज भी यह जनजाति शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र से कोसों दूर है।  

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू ने एक बैंकर श्याम चरण मुर्मू से शादी की, जिनकी 2014 में मृत्यु हो गई थी। दंपति के दो बेटे थे, दोनों का निधन हो गया। उनकी एक बेटी इतिश्री मुर्मू है।

द्रोपदी मुर्मू संथाल जनजाति से आती हैं।  उसकी अलग परंपराएं हैं। यहां तक की शादी विवाह की भी अलग रस्में हैं। आपको कुछ ऐसी ही खास रस्मों के बारे में बताते हैं। संथाल जनजाति में 10 से 12 तरीके से विवाह किया जा सकता है, इसमें कुछ तो बहुत अलग हैं। संथाल जनजाति में विवाह करने को बापला कहते हैं। 

सादाई बापला: टोकरी में बैठकर आती है दुल्हन 


इस प्रकार के विवाह वर और वधू एक दूसरे को पसंद करते हैं। इसके पहले वधू के पिता को वर पक्ष के परिजन पोन (वधू मूल्य) देते हैं। जो 12 रूपये का होता है। विवाह के एक, तीन या पांच दिन पूर्व वर तथा वधू पक्ष के यहां बारात जाती है। बारात के भोजन के खर्च वर पक्ष वहन करता है। बाराती नाचते गाते वधू के परिवार के दरवाजे पर जाते हैं। वधू को हल्दी से रंगे नए कपड़े में एक टोकरी में बैठा कर दरवाजे पर कंधे पर उठा कर लाया जाता है। दुल्हन घू्रंघट में होती है। वर को भी अपने कंधे पर उठाया जाता है। इसी अवस्था में वर वधू का घूँघट हटा कर उसके मांग में पांच टीका (सिन्दूरदान) करता है।  सिंदूरदान के दूसरे दिन दुल्हन की विदाई होती है. उसके साथ भाई  तथा उसकी सहेलियां भी जाती हैं। शादी के छठवे दिन दुल्हन अपने भाई तथा पति के साथ मायके आती है. साथ में हडिय़ा तथा चिवड़ा का संदेश भी लाती है। दो दिन के बाद नवदंपति अपने घर लौट आते हैं। 

गोलाइटी बापला: एक दूसरे के घर में करते हैं शादी 


इस प्रकार के विवाह में जिस परिवार में बेटी की शादी होती है उसी परिवार से पतोहू की शादी की जाती है। इस प्रकार के विवाह में भी पोन नहीं लिया जाता है। वधू मूल्य से बचने के लिए दो परिवार के लड़के लड़कियों का बिना पोन दिए विवाह कर दिया जाता है।

टूनकी दिपिल बापला : सिर्फ सिंदूर देकर शादी होती है 


इस प्रकार के विवाह गरीब लोगों के बीच संपन्न किये जाते हैं। कन्या को वर के घर लाकर सिंदूर देकर शादी रचा दी जाती है।

घरदी जावायं बापला : शादी के बाद ससुराल में रहता है पति 


इस प्रकार में विवाह में पुत्रहीन वर वधू के गांव जाकर उसे ले आता है। वधू के लिए पोन देना पड़ता है तथा शादी के बाद उसे ससुराल में ही रहना पड़ता है।

अपगिर बापला : पंचायत के सामने होता है प्रेमी प्रेमिका की शादी  

इसमें पंचायत प्रेमी और प्रेमिका की शादी कराने की बात माता-पिता से कहती है। यदि शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, तो दोनों की शादी पंचायत के सामने की जाती है। इस अवसर पर लड़के के पिता को गांव वालों को भोज देना पड़ता है।

इतुत बापला : मेले में सिंदूर लगाकर विवाह करते हैं 


इसमें जब लड़की के माता-पिता उसके प्रेमी से शादी करने पर इंकार करते हैं तो लड़का मेले या अन्य अवसर पर लड़की के माथे पर सिंदूर लगा देता है। लड़की के माता पिता को जब इस बात की सूचना मिलती है, तो वे लड़के के गांव जाते हैं तथा कन्या मूल्य प्राप्त कर लेने पर विवाह संपन्न करा दिया जाता है।

निर्बोलक बापला : लड़की हठ करके लड़के के घर रहने लगती है 


ऐसी शादी में लड़की जबरन अपने पसंद के लड़के घर में रहने लगती है। लड़का या उसके परिवार के सदस्य बल का प्रयोग कर उसे बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। फिर भी यदि लड़की घर में ही बैठी रहती है तो सूचना जोगमांझी को दी जाती है। फिर उसका विवाह कराया जाता है। 

बहादूर बापला : जंगल में भाग जाते हैं लड़का-लड़की 


ऐसी शादी में प्रेमी प्रेमिका जंगल में भाग जाते हैं। वहां पर एक दूसरे को माला पहनाते हैं। इसके बाद घर आकर दोनों एक कमरे में बंद हो जाते हैं। इसके बाद उनका विवाह संपन्न माना जाता है। 

राजा-राजी बापला : दुल्हन सिंदूर लगाने की सहमति देती है 


इस प्रकार के विवाह में लड़का लड़की गांव के मांझी के पास जाते हैं। मांझी उन्हें लड़की के घर ले जाता है तथा गांव के वयोवृद्ध लोगों के समक्ष वह औपचारिक रूप से दुल्हन की सहमति प्राप्त कर लेते है। लड़का लड़की माथे पर सिंदूर लगा देता है। इस प्रकार उनका विवाह संपन्न हो जाता है।

सांगा बापला : विधवा स्त्री पसंद करती है अपना दूसरा पति  


इस तरह की शादी विधवा और विधुर की होती है। इसमें लड़का और लड़की अपने लिए खुद वर निश्चित करते हैं। कुछ कन्या मूल्य भी दिए जाते है। इसके बाद तय तारीख पर दुल्हन के घर आकर दूल्हा शादी रचाता है। 

कीरिंग जावायं बापला : गर्भवती औरत से शादी कराई जाती है 


जब लड़की दूसरे पुरूष से गुप्त से गर्भवती हो जाती है तो इस लड़की से शादी के लिए इच्छुक व्यक्ति को कुछ धनराशि देकर शादी करा दी जाती है। वधू के माता पिता द्वारा उसे वैवाहिक जीवन प्रारंभ करने के लिए गाय, बैल तथा धन भी प्रदान किये जाते हैं।

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