EXPLAINED : कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार के दबदबे की कहानी, 40 साल में दो बार चुनाव, मनीष तिवारी बोले- निष्पक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची सार्वजनिक करें


दिल्ली। कांग्रेस पार्टी इन दिनों अपने सबसे खराब दौर में गुजर रही है। हालत यह है कांग्रेस पार्टी सिमटता जनाधार पार्टी हाईकमान की क्षमता पर सवाल उठाता है। आगामी 17 अक्टूबर को कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव होगा, लेकिन इसके पहले ही नेताओं के बीच मनभेद नजर आ रहे हैं।
मनीष तिवारी ने उठाए सवाल
कांग्रेस चुनाव प्रणाली पर सबसे पहले वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने ही सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए मतदाता सूची जारी की जाए। इससे उम्मीदवारों को मदद मिलेगी। उनके समर्थन में शशि थरूर और वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी आ गए हैं।
सार्वजनिक नहीं होगी लिस्ट
हालांकि इस मामले में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने लिस्ट प्रकाशित करने की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि "ये पार्टी की अंदरूनी प्रक्रिया है, और इसे सबके देखने के लिए नहीं छापा जाना चाहिए. ऐसा पहले भी नहीं हुआ. और हम उसी प्रथा का पालन करेंगे.
चुनाव समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि इलेक्टोरल कॉलेज में शामिल प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रतिनिधियों की लिस्ट को पार्टी मुख्यालय में देखा जा सकता है और ये सूची उम्मीदवारों को भी उपलब्ध करवाई जाएगी.
आइए आज समझते हैं आखिर क्या कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में किन चीजों को गोपनीय रखा जाता है। जिससे गांधी परिवार का ही दबदबा रहता है। गांधी परिवार के इतर कोई दूसरा उम्मीदवार चुनाव क्यों नहीं जीत पाता है।
यह है संगठन की रूपरेखा
देश में कांग्रेस संगठन 5 स्तरों पर कार्य करता है। इनमें ब्लॉक कमेटी सबसे छोटी इकाई है। इसके बाद सिटी कांग्रेस कमेटी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी है। वहीं, कांग्रेस वर्किंग कमेटी पार्टी के अन्य क्रियाकलापों को संचालित करती है।
ऐसे होता है चुनाव
हर एक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी गोपनीय मतदान करती है। इससे वह अपना प्रतिनिधि PCC यानि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भेजती है। उसे डेलीगेट कहा जाता है। फिलहाल कांग्रेस की सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों में 9 से 10 हजार सदस्य हैं। इसके बाद PCC सदस्य खुद में से 1/8 सदस्यों को प्रपोशनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम के सिंगल ट्रांसफरेबल वोट के जरिए चुनकर AICC में भेजते हैं। इसी को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी कहते हैं। अभी इसमें 1500 सदस्य हैं। वहीं, AICC और PCC के बीच CWC यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी कार्य करती है। इसमें 25 सदस्य होते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष CWC का भी प्रमुख होता है। 23 सीटों में 12 का चुनाव AICC के सदस्य करते हैं और बाकी 11 को कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत करते हैं।
इसी प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल
बीते कई सालों से कांग्रेस वर्किंग कमेटी के 12 सदस्यों को कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत कर रहे हैं। इससे साफ हो जाता है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी पर कांग्रेस अध्यक्ष का ही दबदबा रहता है। अब मनीष तिवारी समेत अन्य नेता इसी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट मतदान करते हैं। ऐसे में मांग की जा रही है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट की लिस्ट सार्वजनिक की जाए, ताकि यह उम्मीदवारों को यह पता चल सके कि कौन कौन लोग वोट करेंगे। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों को मनोनीत न किया जाए, बल्कि उनका चुनाव कराया जाए।
आजादी के बाद से सिर्फ दो बार चुनाव
साल 2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद उम्मीदवार थे। सोनिया गांधी ने जितेंद्र को 7,448 वोटों से हराया था। जितेंद्र को महज 94 वोट मिले थे। इसके पहले 1997 में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को शिकस्त दी थी। अब साल 2000 के बाद पार्टी में गांधी परिवार के इतर कोई चुनाव मैदान में भी नहीं उतरा है।

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