EXPLAINED : भविष्य में बंद होंगे नोट, डिजिटल करेंसी से होगा लेनदेन, कैसे काम करेगा E- Rupee समझिए


दिल्ली। देश में मुद्रा यानि करेंसी की दिशा में आमूलचूल परिवर्तन आने वाले दिनों में दिखाई पडेगा। आरबीआई ने डिजिटल करंसी ई-रुपया की शुरुआत की। इससे एक नए युग का आगाज हो गया है। बजट में की गई घोषणा के अनुसार रिजर्व बैंक ने इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
आइए डिजिटल करंसी के चलन और उसके प्रभाव के बारे में जानते हैं
सवाल- भारत में कब से डिजिटल करंसी पूर्ण रूप से शुरू हो जाएगी, क्या कोई डेट तय की गई है!
जवाब- अभी भारत में डिजिटल करंसी को लेकर रिसर्च चल रही है। हालांकि, मंगलवार को आरबीआई ने ई रुपए की शुरूआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की है। एक महीने तक इसे ऑब्जर्व किया जाएगा। इसकी लोकप्रियता और चलन के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। अगर यह ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो आम लोगों में भी डिजिटल करेंसी का चलन बढाया जाएगा।
सवाल- क्या डिजिटल करेंसी आने से देश में नोटों का चलन बंद हो जाएगा
जवाब- भारत ही नहीं, बल्कि 109 देश डिजिटल करेंसी को लागू करने की दिशा में आगे बढ रहे हैं। पहला तो इससे सरकार को नोटों की छपाई का खर्च बचेगा। दूसरा डिजिटल करेंसी से पारदर्शिता भी आएगी। जैसे, 100 रुपये के एक नोट को छापने पर 15 से 17 रुपये का खर्च आता है। एक रुपए के नोट को छोडकर सारे नोट को आबीआई जारी करती है। भारत सरकार महज एक रुपए का नोट जारी करती है। डिजिटल करेंसी के बढते चलन से नोटों की छपाई का बोझ कम होगा। हालांकि, अभी इसमें समय लगेगा।
सवाल- डिजिटल करेंसी का उपयोग करने में क्या कोई दिक्कत नहीं आएगी।
जवाब- बिल्कुल नहीं, क्योकि यह बिल्कुल वैसे ही होगा, जैसे आप यूपीआई, या गगूलपे जैसे ऐप से रुपए transfer करते हैं। ध्यान दीजिए तो नोटबंदी के पहले डिजिटल लेनदेन का भी भारत में ज्यादा चलन नहीं था, लेकिन कोविड और नोटबंदी से यह चलन बढ गया है। अब गांव गांव में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं। ऐसे ही डिजिटल करेंसी भी काम करेगी।
सवाल- अभी दुनिया के कितने देश डिजिटल करेंसी का उपयोग कर रहे हैं।
जवाब- 2023 में यूरोप में डिजिटल करंसी लाने के लिए बिल पेश किया जा सकता है। फिलहाल 109 देशों के केंद्रीय बैंक इसे लागू करने के लिए तैयारी और शोध में जुटे हैं। अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार दुनिया के दस देशों के केंद्रीय बैंक ने डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) का पूर्ण इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसमें बहामास, नाइजीरिया, एंटीगुआ, डॉमनिका, ग्रेनेडा, मॉन्टस्ट्रीट, सेंट किट्स, सेंट लुसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनडाइन्स जैसे कैरेबियाई देश शामिल हैं। वहीं 109 देश इसे लागू करने की तैयारी में हैं।
सवाल- दुनिया के किस बैंक ने सबसे पहले CBDC लांच किया था
जवाब- अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार सेंट्रल बैंक ऑफ द बहामास ने अक्तूबर 2020 में CBDC को लांच किया था। वह दुनिया का पहला केंद्रीय बैंक बन गया था।
सवाल- क्या डिजिटल करेंसी आने से सरकार नोटों की छपाई बिल्कुल खत्म कर देगी।
जवाब- सरकार इस दिशा में कोशिश कर रही है। आरबीआई के अनुसार देश में 100 रुपये के एक नोट को छापने पर 15 से 17 रुपये की लागत आती है। एक नोट करीब चार साल तक चल पाता है। इसके बाद केंद्रीय बैंक को दोबारा नोट छापने पड़ते हैं, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 में 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे। डिजिटल करंसी से ये लागत खत्म हो जाएगी।
सवाल- आखिर E- Rupee की वर्क स्टाइल कैसी होगी, यह कैसे चलन में आएगा।
जवाब- यह एक वाउचर है जिसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। यानी केवल वही इसका इस्तेमाल कर सकेगा, जिसके लिए यह जारी किया गया है। सीबीडीसी में कैश हैंडओवर करते ही इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं रह जाएगी। इससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम की तुलना में लेनदेन ज्यादा रियल टाइम और कम लागत में होगा।
यह होगी पूरी प्रक्रिया
ई-रुपी वाउचर जारी होने के बाद इसका इस्तेमाल एक ही बार किया जा सकता है।
यह कैशलेस और कॉन्टैक्टलैस है।
ई-रुपी लाभार्थी के मोबाइल पर भेजा जाएगा। यह क्यूआर कोड या एसएमएस कोड के रूप में होगा। इन्हें स्कैन किया जा सकेगा।
लाभार्थी के वेरिफिकेशन के लिए एक कोड लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा।
वेरिफिकेशन होने पर वाउचर रिडीम हो जाएगा और तुरंत भुगतान हो जाएगा।1
