कोरोना महामारी के बीच सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना’ (इकोलॉजिकल रिस्टोरेशन) के अनुरूप आज दो फेसबुक लाइव परिचर्चा आयोजित की, जिसका मकसद पर्यावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने से जुड़े दूरदर्शी एवं वैज्ञानिक समाधानों पर विचार-विमर्श करना और लोगों के सामूहिक प्रयासों का आह्वान करना था। पहला सत्र ‘सततशील भविष्य के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार’ विषय पर चर्चा को समर्पित था, वहीँ दूसरे सत्र का विषय “ऊर्जा दक्षता के जरिए पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार’ था।
दोनों परिचर्चाएं समग्र तौर पर पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने और व्यावहारिक समाधानों के जरिए हमारी धरती को सुरक्षित बनाने पर केंद्रित थी। दरअसल यह कार्यक्रम सीड द्वारा एक महीने तक चलाए गए ऑनलाइन सोशल मीडिया कैंपेन ‘हील द इकोसिस्टम’ का एक अभिन्न अंग था, जिसे राज्य की प्रमुख हस्तियों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, सिविल सोसाइटी संगठनों व आम नागरिकों से काफी समर्थन मिला।
क्या कहा पद्मश्री प्रोफेसर रवींद्र कुमार सिन्हा ने –
‘सतत भविष्य के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार’ विषय पर केंद्रित सत्र को पद्मश्री प्रोफेसर रवींद्र कुमार सिन्हा (कुलपति, श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, जम्मू) ने संबोधित किया, जो ‘डॉलफिन मैन ऑफ़ इंडिया’ के रूप में लोकप्रिय हैं। उन्होंने पर्यावरण को बेहतर करने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि, “प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और जलीय जीवन एवं वन्यजीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए हमें सततशील उपायों के जरिए पारिस्थितिक तंत्र को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता है। हमें अपने प्राकृतिक परिवेश के सुंदर जीवों की कीमत पर भौतिकवादी लिप्सा में लिप्त नहीं रहना चाहिए, बल्कि सहअस्तित्व के सिद्धांत के अनुरूप एक-दूसरे पर पारस्परिक रूप से निर्भर परिवार की तरह आचरण करना चाहिए। एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने, जैव विविधता के नुकसान को रोकने, सभी की आजीविका सुनिश्चित करने, और दुनिया को सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण बनाने में सक्षम है।”
सततशील समाधानों का एक नए युग लाने की जरूरत है- अंकिता ज्योति
पूरी दुनिया में क्लाइमेट चेंज को बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाने में मानवजनित कारणों पर प्रकाश डालते हुए अंकिता ज्योति, सीनियर प्रोग्राम अफसर, सीड ने कहा कि “इस तथ्य के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग और जीवाश्म ईंधन आधारित विकास ढाँचे पर अत्यधिक निर्भरता हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। लाखों लोगों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए सततशील समाधानों का एक नए युग लाने की जरूरत है, जिससे हमारी पृथ्वी को स्वस्थ एवं सुंदर बनाया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण को सही अर्थों में लागू करने के लिए प्रमाणित वैज्ञानिक समाधानों के क्रियान्वयन और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है, जहां एक आम नागरिक का हर छोटा प्रयास भी सार्थक तरीके से योगदान दे सकता है। “
अक्षय ऊर्जा साधनों को अपनाने से दुनिया को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है- राकेश प्रताप यादव
चर्चा के दूसरे सत्र को एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल), बिहार के स्टेट हेड श्री राकेश प्रताप यादव ने संबोधित किया, जिन्होंने नवीनतम तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से कार्बन-न्यूट्रल दुनिया बनाने पर अपनी बात रखते हुए कहा कि “ऊर्जा का सही और दक्षतापूर्ण उपयोग तथा जीवन के हर क्षेत्र में स्वच्छ, हरित और अक्षय ऊर्जा साधनों को अपनाने से दुनिया को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। जीवाश्म ईंधनों के बेहिसाब इस्तेमाल से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और वातावरण में कार्बन फुटप्रिंट के कारण हो रहे विनाश को ध्यान में रखते हुए विकास गतिविधियों में अक्षय ऊर्जा को व्यापक पैमाने पर अपनाने की तत्काल आवश्यकता है, जो हमारे राज्य में समृद्धि और समग्र विकास का नया युग ला सकता है।
सीड ने सूचित करते हुए बताया कि उनका यह ऑनलाइन कैम्पेन आगे भी जारी रहेगा ,ताकि जन जागरूकता बढ़े और बेहतर, स्वस्थ, स्वच्छ और खुशहाल दुनिया में सभी लोग रचनात्मक ढंग से योगदान दें।