पाकिस्तान को DEBT TRAP में फंसाने का चीन का प्लान तैयार : CPEC के अलावा तीन नई परियोजनाएं करेंगे शुरू


इस्लामाबाद। चीन पाकिस्तान को हर तरीके से कर्ज के जाल में फंसाना चाहता है। पहले सीपीईसी और अब कहा जा रहा है कि चीन आने वाले दिनों में पाकिस्तान में तीन और परियोजनाएं शुरू करेगा। हालांकि, पाकिस्तान के कई इलाकों में भी बीते दिनों सीपीईसी का विरोध हुआ था। यही नहीं सियासी गलियारों में भी विरोध के स्वर सुनाए दिए थे।
तीन नई परियोजनाएं
अब चीन की नई मंशा के मुताबिक पाकिस्तान में कई योजनाओं को बढावा दिया जाएगा। पाकिस्तान और चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के अलावा तीन नई गलियारा परियोजनाओं को संयुक्त रूप से शुरू करने का निर्णय लिया है।.
मीडिया में शनिवार को आई खबर के मुताबिक, दोनों देश कृषि, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं।.
क्या है सीपीईसी
पाकिस्तान ने 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के दूसरे चरण की शुरुआत के लिये चीन के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किये।पाकिस्तान और चीन ने अरबों डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के अलावा तीन नई गलियारा परियोजनाओं को संयुक्त रूप से शुरू करने का निर्णय लिया है।.
तीन हजार किमी का रास्ता
CPEC चीन के उत्तर-पश्चिमी झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का 3,000 किलोमीटर लंबा मार्ग है।
चीन की बढ रही कनेक्टिविटी
यह पाकिस्तान और चीन के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं के साथ राजमार्गों, रेलवे एवं पाइपलाइन्स के नेटवर्क द्वारा पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक का रास्ता
यह चीन के लिये ग्वादर बंदरगाह से मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि चीन हिंद महासागर तक पहुँच प्राप्त कर सके तथा चीन बदले में पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को दूर करने और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये पाकिस्तान में विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।CPEC, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है। वर्ष 2013 में शुरू किये गए ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।

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