Desk: कोरोना लॉकडाउन के कारण बाहर के राज्यों में बड़ी संख्या में फंसे बिहार के लोग बिहार वापस आ चुके हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार 30 लाख से भी अधिक प्रवासी लौट चुके हैं। ऐसे में बिहार सरकार के सामने लोगों को जहां रोजगार मुहैया कराने की चुनौती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि बिहार में ही सभी को रोजगार दिया जाएगा। स्किल मैपिंग की बात भी की जा रही है। लेकिन बिहार पुलिस मुख्यालय का एक पत्र ने सरकार की दावों की पोल खोल दी है। पत्र को लेकर बिहार की सियासत भी गर्म हो गई है।
दरअसल, पुलिस मुख्यालय द्वारा 29 मई को लिखे गए इस पत्र में चर्चा की गई है कि बिहार में भारी संख्या में वैसे स्थानीय नागरिकों का आना हुआ है जो दूसरे राज्यों में श्रमिक के तौर पर कार्यरत हैं। बिहार पुलिस मुख्यालय ने माना है कि गंभीर आर्थिक चुनौतियों के कारण यह सभी प्रवासी मजदूर परेशान और तनावग्रस्त हैं। पत्र में आगे लिखा है, सरकार की कोशिशों के बावजूद सूबे के अंदर सभी को वांछित रोजगार मिलने की संभावना कम है। इस कारण यह प्रवासी मजदूर खुद और अपने परिवार का भरण पोषण करने के मकसद से अनै’तिक और विधि विरुद्ध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। मुख्यालय ने इस स्थिति का सामना करने के लिए सभी डीएम और एसपी को एक ऐसी कार्य योजना तैयार करने को कहा है ताकि जरूरत के हिसाब से कार्रवाई की जा सके।
पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर पत्र शेयर करते हुए लिखा है, ‘नीतीश जी, तत्काल इस्तीफा दें! आपका पुलिस मुख्यालय पत्र जारी करता है कि बाहर से आए बिहारी मज़दूर अपरा’ध करेंगे! क्या वह अप’राधी हैं? उन्हें प्रवासी कहने में तो आपको शर्म आती है,पर बड़ी बेशर्मी से उन्हें अप’राधी कैसे कह दिया! पत्र में कहा है सरकार मज़दूरों को रोजगार देने में नाकाम हैं ‘
वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, ‘बिहार सरकार ने आधिकारिक रूप से यह मान लिया है कि वापस लौटे श्रमिक भाई बेरोजगार ही रह जाएँगे। सरकार के अनुसार इनके बिहार लौटने से कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी क्योंकि ये आपरा’धिक प्रवृत्ति के लोग हैं! और बेरोजगार रह जाने की स्थिति में ये आपरा’धिक गतिविधियों में भाग लेंगे!’