राजनीति में सब कुछ संभव है इसका एक उदाहरण बिहार में बीते दिन हमें देखने को मिला दरअसल चिराग पासवान के साथ वह हो गया जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे. कल तक वे लोक सभा में अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता थे, आज उनकी जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने ले ली. देखते ही देखते वे अपनी पार्टी में बेगाने हो गए. लेकिन सूत्रों के मानें तो यह तो शुरुआत है. आने वाले समय में चिराग पासवान पूरी तरह से अपनी पार्टी में हाशिए पर धकेल दिए जाएंगे.
क्या है अंदर की कहानी-
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चिराग पासवान एनडीए की एकता में बड़ा रोड़ा बन चुके थे, बिहार में एनडीए की एकता चिराग पासवान के एलजेपी का नेता रहते संभव नहीं थी क्योंकि नीतीश कुमार को उनके नाम पर सख्त एतराज था. यहीं नहीं, नीतीश यह कतई नहीं चाहते थे कि केंद्र में एनडीए की किसी भी बैठक में चिराग पासवान को बुलाया जाए या फिर बीजेपी उनके साथ कोई रिश्ता रखे। इस साल जनवरी में बजट सत्र शुरु होने से पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने एनडीए की बैठक के लिए चिराग पासवान को निमंत्रण भेज दिया था. जेडीयू ने इस पर सख्त एतराज किया था जिसके बाद बीजेपी को उन्हें फोन कर कहना पड़ा कि वे बैठक में न आएं, जेडीयू इसी के बाद एनडीए की बैठक में आई.
अब जबकि मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार की अटकलें लग रही हैं, लोजपा की ओर से चिराग पासवान मंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार माने जा रहे थे क्योंकि उनके पिता रामविलास पासवान का कैबिनेट मंत्री रहते हुए निधन हुआ था. इस लिहाज से लोजपा की एक सीट मंत्रिपरिषद में बनती है. जबकि इस बार जेडीयू को भी मंत्री पद की आस है. और नीतीश कुमार कतई नहीं चाहते थे कि लोजपा कोटे से चिराग पासवान मंत्री बनें, जबकि लोकसभा में लोजपा के नेता होने के नाते स्वाभाविक रूप से चिराग पासवान की दावेदारी बनती थी.
सूत्रों की माने तो इसके लिए जेडीयू के वरिष्ठ नेता लल्लन सिंह और बीजेपी के राज्य सभा के एक सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी ने लोजपा के सांसदों से संपर्क साधा। उन्हें बताया गया कि बिहार और केंद्र में एनडीए का हिस्सा वे तभी बन पाएंगे जब चिराग के हाथों में कमान न हो, लंबी बातचीत के बाद आखिरकार वे तैयार हुए. सूत्रों के मुताबिक कल स्पीकर से पांचों सांसदों को मिलवाने का जिम्मा भी एक बीजेपी सांसद को दिया गया जो बिहार से ताल्लुक रखते हैं. सोमवार को स्पीकर ने चिराग पासवान की जगह पशुपति कुमार पारस को लोजपा का नेता मान्य कर दिया। दिलचस्प बात है कि पशुपति कुमार पारस और चिराग के बीच मतभेद भी नीतीश कुमार को लेकर ही हुए थे