Desk: उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक शिक्षिका पर आरोप है कि वह एक दो नहीं बल्कि 25 जगहों पर एक साथ काम करती रही और वेतन लेती रही। वह कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में कार्यरत पूर्णकालिक विज्ञान शिक्षिका थीं और अंबेडकर नगर, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर और प्रयागराज जैसे जिलों के कई स्कूलों में एक साथ काम करती रही। मामले के खुलासे के बाद जिले से भी उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँगा गया है।
मामला तब सामने आया जब शिक्षकों का एक डेटाबेस बनाया जा रहा था।मानव सेवा पोर्टल पर शिक्षकों के डिजिटल डेटाबेस में शिक्षकों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड, जुड़ने और पदोन्नति की तारीख की आवश्यकता होती है। एक बार रिकॉर्ड अपलोड होने के बाद, यह पाया गया कि अनामिका शुक्ला, एक ही व्यक्तिगत विवरण के साथ 25 स्कूलों में सूचीबद्ध थीं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार शिक्षिका का नाम अनामिका शुक्ला है और वो यूपी के प्राथमिक विद्यालयों में रोजाना शिक्षकों की बन रही हाजिरी के बावजूद ये फर्जीवाड़ा करने में कामयाब रही। शिक्षिका मूल रूप से मैनपुरी की रहने वाली है और मौजूद रिकॉर्ड्स के अनुसार और इन सभी स्कूलों में ‘काम’ करती रही। वहीं, स्कूली शिक्षा के डायरेक्टर जनरल विजय किरण आनंद के अनुसार सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है। अखबार के अनुसार आनंद को शिक्षिका के बारे में शिकायत मार्च में मिली थी। उन्होंने कहा, ‘एक शिक्षक कई स्थानों के लिए अपनी हाजिरी कैसे लगा सकता है वो भी तब जब उन्हें प्रेरणा पोर्टल पर ऑनलाइन अपनी हाजिरी डालनी होती है। इसके लिए विस्तृत तौर पर जांच की जरूरत है।’
केजीबीवी कमजोर वर्गों की लड़कियों के लिए चलाया जाने वाला एक आवासीय विद्यालय है, जहां शिक्षकों को अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है। उन्हें प्रति माह लगभग 30,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में एक कस्तूरबा गांधी स्कूल है। अनामिका ने इन स्कूलों से वेतन के रूप में फरवरी 2020 तक (13 महीनों में) एक करोड़ रुपए लिए हैं।

रायबरेली में बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद प्रकाश ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय ने अनामिका शुक्ला नामक एक शिक्षिका के बारे में जांच करने के लिए छह जिलों को एक पत्र जारी किया था। उन्होंने कहा, “हालांकि रायबरेली का नाम सूची में नहीं था, हमने क्रॉस चेक किया और महिला को जब हमारे केजीबीवी में भी काम करते हुए पाया तो उन्हें नोटिस जारी किया गया था। लेकिन उन्होंने वापस रिपोर्ट नहीं की और उनका वेतन तुरंत रोक दिया गया।” उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन के कारण जांच आगे नहीं बढ़ सकी लेकिन अब रिकॉर्ड का सत्यापन किया जाएगा।