प्रियंका गांधी ने ट्वीट से बोला हमला : कहा- 11 लोगों की रिहाई और समर्थन में बयानबाजी पर सरकार ने क्यों चुप्पी साधी है


दिल्ली। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बृहस्पतिवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिल्कीस बानो के लिए न्याय की मांग की। उन्होंने कहा कि 2002 के गैंगरेप और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए 11 लोगों की रिहाई पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है।
11 दोषियों को रिहा किया गया
गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत पिछले दिनों 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से इस मामले के 11 दोषियों को रिहा किया गया था। प्रियंका ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बलात्कार की सजा पा चुके 11 लोगों की रिहाई, कैमरे पर उनके स्वागत-समर्थन में बयानबाजी पर चुप्पी साधकर सरकार ने अपनी लकीर खींच दी है।’’
बलात्कार की सजा पा चुके 11 लोगों की रिहाई, कैमरे पर उनके स्वागत-समर्थन में बयानबाजी पर चुप्पी साधकर सरकार ने अपनी लकीर खींच दी है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 25, 2022
लेकिन देश की महिलाओं को संविधान से आस है। संविधान अंतिम पंक्ति में खड़ी महिला को भी न्याय के लिए संघर्ष का साहस देता है। बिल्किस बानो को न्याय दो।
महिलाओं को संविधान से आस
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन देश की महिलाओं को संविधान से आस है। संविधान अंतिम पंक्ति में खड़ी महिला को भी न्याय के लिए संघर्ष का साहस देता है। बिल्किस बानो को न्याय दो।’’
गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस
उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया। गौरतलब है कि माफी नीति के तहत गुजरात सरकार ने इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था।
उम्र कैद की सजा सुनाई
मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 आरोपियों को बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।
अर्जी पर विचार करने का कहा
इन दोषियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के तहत विचार करने के बाद रिहा किया गया। शीर्ष अदालत ने सरकार से वर्ष 1992 की क्षमा नीति के तहत दोषियों को राहत देने की अर्जी पर विचार करने को कहा था।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कारावास की सजा काट ली थी जिसके बाद एक दोषी ने समयपूर्व रिहा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस पर शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था।

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